अब मुझे जिंदगी जीने में कोई तकलीफ नहीं होती, जानें मेरी पूरी कहानी?

New Delhi, India 7 June, 2025

घुटनों की समस्या जो बुढ़ापे में लोगों को अक्सर घेर ही लेती है। ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि बात घुटनों के ऑपरेशन तक पहुंच जाती है इतना ही नहीं, कई लोगों के लिए इस समस्या में उठना-बैठना भी मुश्किल हो जाता है। आपको बता दें घुटनों के दर्द की समस्या उम्र देखकर नहीं आती है ये परेशानी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है अगर ये परेशानी बुढ़ापे में आ जाए तो बुढ़ापा गुज़ारना बेहद ही मुश्किल हो जाता है।

ऐसे ही एक कहानी है बढ़ती उम्र से परेशान बुजुर्ग व्यक्ति नरेश सहगल जी की। जिन्हें घुटनों के दर्द की समस्या हो गई थी, लेकिन इन्होंने समय रहते ही अपनी समस्या का हल ढूंढ़ निकाला और आज इनके घुटने इतने बेहतर हो चुके हैं कि नरेश जी आराम से साइकिल चला लेते है।

70 साल के नरेश कुमार सहगल जी दिल्ली के जहांगीरपुरी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह परिवार के सबसे बड़े और बुजुर्ग व्यक्ति है। वह काफी दयालु और स्वभामिनी व्यक्ति हैं लोगों की मदद करना इन्हें काफी अच्छा लगता है। पर क्या पता था कि दूसरों की मदद करने वाले नरेश जी को खुद भी किसी सहारे की ज़रूरत पड़ेगी। आपको बता दें कि नरेश जी के जीवन में एक समय ऐसा आया जब वह घुटनों में हो रहे असहनीय दर्द कि वजह से बिस्तर से उठने में भी तकलीफ होती थी। अगर नरेश जी कभी उठने की कोशिश करते थे तो तेज़ दर्द कि वजह से बिस्तर से उठने में उन्हें 5 से 7 मिनट लग जाते थे। उनकी इस परेशानी के साथ उन्हें कई सारी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ रहा था।

घुटनों के दर्द की समस्या इतनी बढ़ गई थी कि बात ऑपरेशन तक पहुंच गई। इस समस्या में नरेश जी की हालत ऐसी हो गई थी कि उनका चलना-फिरना, खड़ा होना, और दैनिक जीवन के छोटे-छोटे काम करना भी एक बड़ी चुनौती बन गया था। वह बिस्तर पर लेटे रहने के लिए मजबूर हो गए थे। बिस्तर से आसानी से उठ भी नहीं पाते थे। इसलिए उन्होंने डॉक्टरों पर जाना सही समझा। डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी। नरेश जी ने अपने घुटनों का ऑपरेशन तो करा लिया लेकिन वह अपने दर्द से राहत नहीं पा सकें। उन्हें कुछ समय बाद फिर से घुटनों के दर्द की समस्या होने लगी। बुढ़ापे में घुटनों के दर्द ने नरेश जी को अंदर से तोड़कर रख दिया था। उनका दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था फिर एक दिन उन्हें याद आया यूनानी नुस्खा। नरेश जी बताते है कि बचपन से यूनानी नुस्खों को फॉलो करते थे उस समय उन्होंने एक डायरी भी बना रखी थी। जिसमें कई तरह के नुस्खे लिखे हुए थे। नरेश जी ने सोचा कि जब डॉक्टरों से कोई फायदा नहीं मिल पाया तो क्यों न एक बार यूनानी नुस्खों को भी अपना लिया जाए।

दरअसल नरेश जी काफी समय से हकीम सुलेमान खान साहब का फेमस शो सेहत और जिंदगी देखते आ रहे थे। उन्होंने उस शो के जरिए ऐसे लोगों को सुना जिन्हें हकीम साहब के नुस्खों से फायदा मिल रहा था। उनकी कहानी सुनकर ही नरेश जी ने मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब के दिए गए नंबर पर कॉल करके अपनी पूरी समस्या की जानकारी दी जिसके बाद हकीम जी ने उनकी समस्या को अच्छे से सुना और समझा। बिना किसी देरी के नरेश जी ने जोड़ों के दर्द में सबसे कारगर बूटी गोंद सियाह को ATIYA HERBS की वेबसाइट से मंगवाया। इसी के साथ नरेश जी को हकीम साहब ने अलसी पाउडर, तुलसी कैप्सूल और जैतून सिरके का सेवन करने की सलाह दी। अपनी बढ़ती परेशानी के चलते नरेश जी ने हकीम साहब के दिशा निर्देश अनुसार यूनानी नुस्खा भी अपनाएं। जिससे उनकी सेहत में सुधार होना शुरू हुआ। महज कुछ ही दिनों में ही उन्हें राहत मिलना शुरू हो गया। उनका दर्द न केवल कम हुआ, बल्कि उन्हें शरीर में एक नई ऊर्जा और ताकत का एहसास होने लगा। जैसे-जैसे पैरों के दर्द में कमी आती गई धीरे-धीरे नरेश जी की तंदुरूस्ती बढ़ने लगी। उन्होंने चलना-फिरना शुरू कर दिया यहां तक की अब वह साइकिल भी आसानी से चलाने लगे। बता दें कि हकीम साहब के नुस्खों के असर से अब वह एक बार फिर से खुशहाल जीवन बिता रहे हैं।

नरेश जी बताते हैं कि इन सभी तकलीफों के दिनों में उनकी पत्नी और बेटे ने हमेशा उनका साथ दिया, उनकी मदद की और उनका हौसला बढ़ाया। नरेश जी की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो लंबे समय से दर्द और परेशानी से जूझ रहे हैं। किसी भी तरह के दर्द से परेशान लोगों के लिए नरेश जी कहते हैं कि वह भी हकीम जी के घरेलू नुस्खे अपनाएं। वह यही चाहते हैं कि जिस तरह से उन्हें आराम मिला है उसी तरह से और लोगों को भी आराम मिल सकें। आज जो वह स्वस्थ और सेहतमंद जिंदगी गुजार रहे हैं और अपनी परेशानी कम होने का सारा श्रेय वह यूनानी के मशहूर हकीम सुलेमान खान साहब को देते हैं।

गोंद सियाह क्या है ?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्या है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। यह एक मध्यप्राण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। यह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमें उस पेड़ के औषधीय गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रख सकता है।

असली गोंद सियाह मंगाने के दिए गए नंबर पर संपर्क करें।

011 6120 5392
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Gond Siyah (Indian Gum Arabic)
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